Tuesday, September 23, 2008
कोई ना समझे हैं दिल की जुबां
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना
किसी की कमी से जग सारा सूना
सारा जीवन रह जाता है सूना ।
हँसते हुए ख्वाब रोते है आंशूं
कोई ना समझे है दिल जुंबा
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना ।
सांसे है सूनी , धड़कन है सूनी
जीवन है सूना किसी के बिना
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना ।
राहें है सूनी , मंजिल है सूनी
खवाब अधूरा है किसी के बिना
जब भी है आया सावन का मौसम
नैना है बरसे किसी के बिना
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
Wah bhai wah....kya jazbaat darshaaye hain.....
Issi baat pe yeh padhaoo....
Click here
you're writing poems and songs from your heart, direct dil se...
Post a Comment