Friday, September 26, 2008
तुम यदी आज कहो तो |
तेरे लबों की लाली को तुम
आज कहो तो जाम बना दूँ
तेरे फलक की बिंदिया को तुम
आज कहो तो चाँद बना दूँ
तेरे पायल की रुनझुन को तुम
आज कहो तो गीत बना दूँ
तेरे मचलते अरमानो को
आज कहो तो दुल्हन बना दूँ
तेरे नयन की गहराई को
आज कहो तो झील बना दूँ
तेरे उदासी के साए को
आज कहो तो उत्सव कर दूँ
तेरे जीवन के अंधियारे को
आज कहो तो उज्वल कर दूँ
तेरे अधूरे सपने को तुम
आज कहो तो पूरा कर दूँ
तुम यदि आज कहो तो मैं
पतझड़ को सावन कर दूँ
अमावास को पूनम कर दूँ
नदियों को सागर कर दूँ
सोला को सबनम कर दूँ
धरती को जन्नत कर दूँ
तुम यदि आज कहो तो
मैं तुम पर जीवन अर्पण कर दूँ
Tuesday, September 23, 2008
पलकें भीग जाती है !
मैंने तुम्हे आत्मा की उन गहराइयों
से प्यार किया है जहाँ मेरा मै खो जाता है
दुनिया का कोई भी ऐश्वर्य उसे छू नही पाता है
अलौकिक आनन्द का झरना मेरे ह्रदय में फूट पड़ता है ।
तुम्हे इतनी गहराइयों से चाहा की
मेरा अहंकार न जाने कहा खो जाता है
सच कहूं मेरी आत्मा मुक्त हो जाती है
जैसे दुनिया कही खो जाती है ।
तुझे प्यार कर के मेरी आंखों से आँशू छलक जाते है
मेरी दुनिया रंगीन हो जाती है
मेरा मन उमंग से नाच उठता है
सैकड़ों जूगनू जैसे मेरे आँगन में नृत्य करने लगते है
ऐसा लगता है जैसे बसंत आ जाए
जैसे अचानक हजारों फूल खिल जाए
मेरा ह्रदय तुम्हारी खुशबू से खिल उठता है
मेरा जीवन आनन्द के फूलों से महक उठता है
मेरा जीवन एक उत्सव बन जाता है , गीत बन जाता है
मेरी आँखें झील बन जाती है और पलकें भीग जाती है ।
कोई ना समझे हैं दिल की जुबां
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना
किसी की कमी से जग सारा सूना
सारा जीवन रह जाता है सूना ।
हँसते हुए ख्वाब रोते है आंशूं
कोई ना समझे है दिल जुंबा
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना ।
सांसे है सूनी , धड़कन है सूनी
जीवन है सूना किसी के बिना
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना ।
राहें है सूनी , मंजिल है सूनी
खवाब अधूरा है किसी के बिना
जब भी है आया सावन का मौसम
नैना है बरसे किसी के बिना
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना ।
Wednesday, September 17, 2008
दिल ने किया प्यार तुमसे !
मैंने नही प्यार तुमसे किया है
दिल ने किया प्यार तुमसे
मैंने तो दुनिया की बातें थी मानी
किसी की न माना इसी ने ।
मै तो कभी तेरे दर पे झुका ना
सजदा किया है इसी ने ।
मै तो अकड़ता रहा उमर भर
समर्पण किया है इसी ने ।
मै तो कंकड़ था राहों में जैसे
बस हीरा किया है इसी ने
तेरी मुहबत का अमृत पिला कर
मुझको जीवन दिया है इसी ने ।
खाली है दामन , कुछ ना पाया हूँ !
मेरी चाँद कैसी होगी !
कभी कभी मै सोचता हूँ
जब तुम घूंघट में होगी ,
तो कैसी होगी
मेरी चाँद , बिल्कुल मेरी कविता जैसी होगी ।
प्यार ही होता है उसका खुदा !
माँ , मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ !
की मै तुमसे कहूं -
की माँ मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ
पर मै तुमसे कभी तो नही
कह पाता हूँ ।
और शब्दों से शायद
मै कह भी नही पाऊंगा ,
शब्दों में सामर्थ्य ही नही है
भावों को व्यक्त कर पाने की ।
पर मै जब भी अकेला
भावों में डूबा
तेरे आशीष , ममता
और स्नेह की गर्माहट
को महसूस करता हूँ ,
तब न जाने कब
दो बूँद मोटी
पलकों से टपक जाते है
और वो ही कर पाते है
मेरे भावों को व्यक्त ,
और वो कहते है -
की "माँ " , मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ।
Tuesday, September 16, 2008
तेरा आँचल मै छू भी सका !
तुमसे मै बहुत दूर रहा !
मै तो तेरे साथ रहा
पल पल जीवन की तरह
फिर क्यू मुझे ऐसा लगा
की तुमसे मै बहुत दूर रहा ।
तेरे पास आके रो लूँगा बहुत !
तेरे पास आके रो लूँगा बहुत
तूने समझा क्या मुझे
मै कुछ समझ भी न सका
पहली बार मिला जब तुमसे !
पहली बार मिला जब तुमसे
लगा कोई अपना हो जैसे
लगा कोई सपना हो जैसे
पहली बार लगा था ऐसे
सांसो में खुशबू हो जैसे
पलकों में सपने हो जैसे
सीने में धड़कन हो जैसे
अंतर्मन महका हो जैसे
पहली बार लगा था ऐसे
धरती भी गाती हो जैसे
तारे भी झरते हो जैसे
कण कण में संगीत हो जैसे
पहली बार मिला जब तुमसे
लगा कोई अपना हो जैसे
लगा कोई सपना हो जैसे
पहली बार मिला जब तुमसे ........
Monday, September 1, 2008
साथी मेरे भूल ना जाना !
अगर मिल गए हो तो फिर ना बिछड़ना !
मै तो दर्द पुजारी हूँ !
तुम खुशियों की बात हो करते
मै तो दर्द पुजारी हूँ
तुम सावन की बात हो करते
मै तो पतझड़ का रही हूँ ।
ढूंढ़ रहे हो तुम खुशियाँ
लेकर के तुम शहनाई
तुम्हे मिलेगा कुछ भी नही
मैंने काँटों से है नीड़ बनाई .
अश्रू जहा की सम्पति है
पीडा ही जहा पर वैभव है
ऐसा देश रहा है मेरा
दर्द जहाँ पर गौरव है ।
मरुथल ही जहाँ पवित्र भूमि है
दर्द के ही मन्दिर है जहाँ
पीडा के ही प्रेम गीत है
ऐसा ही अपना है जहाँ ।
कभी भी न भूल पाया !
तेरे चेहरे पर खिली लाली ने क्या गजब ढाया
जब भी जिधर देखा तेरा चेहरा ही नजर आया ।
सुना था लबों से फूल झरते है
तुझे देखा तो आज मै ये जजन पाया ।
तेरी नजरो से जब भी मिली नजरे मेरी
न जाने क्यू मेरे दिल को बहुत करार आया ।
मुझे तो सक था की तुझे प्यार है मुझसे
जब भी तुने मुझे याद किया मुझको तो याकि आया ।
तेरी नजरो में मैंने जो अपना पन पाया
मै जहा भी गया कभी भी न भूल पाया ।