Sunday, August 24, 2008
तुम्हारा मन
मैंने देखा है
तुम्हारा अंतर्मन !
कितनी करुना है
तुम्हारे भावो में,
कितनी पवित्रता है
तुम्हारे विचारो में ,
कितनी कोमलता है
तुम्हारे आचरण में ,
और कितना आत्मीय है
तुम्हारा सानिध्य .
न जाने क्या -क्या सोचता हूँ मै
न जाने क्यू ?
तुम्हारे बारे में सोचना अच्छा लगता है
फिर वही पागलपन , फिर वही दीवानापन
ह्रदय को तरंगित कर गया ।
सोचता हूँ की जब तुमसे मिलूंगा
तब सब कुछ कह दूँगा तुमसे एक ही साँस में
तुम हसोगी मेरी दीवानगी पर, नादांगी पर
मेरा ह्रदय धड़क रहा होगा
तुम्हारी पलके मेरे चेहरे पर झुक रही होंगी
और न जाने क्या -क्या सोचता हूँ मै
तुम ये करोगी , तुम वो करोगी
तुम सरमाओगी ,शायद मुझसे लिपट जाओगी
मुझे गले से लगाओगी
मेरा चेहरा अपने आँचल में छुपाओगी
तुम मुझे अपने दामन से लगाओगी
कोई मधुर गीत गुनगुनाओगी
मुझे चाँद - सितारों में ले जाओगी
और न जाने क्या -क्या सोचता हूँ मै
आवारा बादलों की तरह , दीवानों की तरह
और न जाने क्या - क्या सोचता हूँ मै ..............
Monday, August 18, 2008
कैसे तुम्हें बुलाऊ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ
प्रेम भरे शब्दों में कितनी
कोमलता मै लाऊ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ
डरता हूँ कही प्रेम गीत से
कोमल मन न कुम्हालाऊ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ।
कोयल की मै कूक ना जानू
पपीहे की मै तेर ना जानू
हर धड़कन में गीत है तेरे
उन गीतों से तुम्हे बुलाऊ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ।
रूप रंग सुंदर की तुम
अमर कृति तुम अमर निशानी
प्रेम की देबी प्रेम की मूरत
तुम ही हो परियों की रानी
तुम ही ho मेरी प्रेम कहानी
ख्वाबो के स्वप्निल रंगों की
तुम्हे चुनर पहनाऊ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ।
पलकों में है ख्वाब तुम्हारे
जब भी मिलते नैन हमारे
छुई मुई सा मै शर्माऊ
दिल की बात मै दिल में छिपाऊ
तुमसे मै कुछ कह नहीं पाऊं
कैसे तुम्हे बताऊँ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ।
नेह का बंधन
स्नेह स्पंदन
जीवन को करता मै अर्पण
प्रेम का पुष्प chadaun
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ...........
मै कैसे भूलूंगा
तू यदि भूल गयी तो भूले
मै कैसे भूलूंगा
तेरी याद का मधुर गीत
अब जीवन भर गाऊंगा .
अब भी याद मुझे है सब कुछ
तेरा वो शरमाना
मुझे बुलाना , मुझे मनाना
मुझको पास बिठाना ।
क्या तू भूल गयी वो सब कुछ
तू कैसे भूलेगी
तू यदि भूल गयी तो भूले
मै कैसे भूलूंगा , मै कैसे भूलूंगा ।
जीवन में यदि दर्द नहीं था
दर्द तुम्ही से पाया
जीवन में यदि नृत्य नहीं था
नृत्य तुम्ही से पाया
जीवन में यदि गीत नहीं था
गीत तुम्ही से पाया
जीवन में यदि ख्वाब नहीं था
ख्वाब तुम्ही से पाया
जीवन में यदि प्यार नहीं था
प्यार तुम्ही से पाया
तू यदि भूल गयी तो भूले
मै कैसे भूलूंगा , मै कैसे भूलूंगा ।
तेरे प्यार की मधुर स्मृतियाँ
मेरा तो यही है
जीवन भर का गीत यही है
जीवन का संगीत यही है
तू यदि भूल गयी तो भूले
मै कैसे भूलूंगा
मै कैसे भूलूंगा ....
क्यू है
वो मेरी कौन थी ?
गवाह है मेरी प्रीति की रीति
मै ढूंढ़ रहा था उसे यूँ
जैसे मृग ने ढूढा है कस्तूरी
वह खुशबू थी , फिजां थी
या थी कस्तूरी ।
पल पल का साथ था उसका
पर हर पल मैंने ढूंढा उसको
वो कौन थी मेरी ?
वह मेरी प्रेरना थी , वह मेरी अर्चना थी
आखिर वो ही तो थी जिन्दगी मेरी ।
आशावो का आश था उससे
जीवन का मधुमाश था उससे
जीने का उल्लाश था उससे
खुद से बढ़कर प्यार था उससे
पर हर पल मै ढूंढ़ रहा था
पा कर भी मै ना पाया था .
माँ
दुःख के छडों में तुम बहुत याद आती हो माँ !
तुम्हारा चेहरा मेरी आखों में समां जाता है
मै महसूस करता हूँ
तुम्हार कोमल स्पर्श करुना से, स्नेह से
मेरे बालो में चलने लगता है .
पीडा के अपार छडों में
मेरा रोम रोम पुकार उठता है - माँ , माँ
जैसे मै प्रार्थना कर रहा हूँ
तब सागर से गहरा तेरा प्यार
मेरा कवच बन जाता है ,
तुम्हारी ममता का प्रसाद
मुझ पर बरसने लगता है
मेरा दर्द जैसे खोने लगता है
मै पुलकित होने लगता हूं
मुझे न जाने क्यू
तब ऐसा लगता है
जैसे मै तेरे आँचल में हूँ
तेरे आँचल में छुप कर
सारी दुनिया का गम भूल जाता हूँ
सारी ब्यथा , सारी पीडा से
मुक्त हो जाता हूँ
तेरे आँचल की पावन छाया
मेरा सौभाग्य बन जाती है
तब मेरा तन मान
जीवन की परम धन्यता का अनुभव करता है
और मेरा अंतस अब ख़ुशी से
जैसे कोई गीत गा रहा है - माँ.माँ ..........
कैसे वो पल थे
भूले ना वो पल
Wednesday, August 6, 2008
मैं
जब भी मै लीखता हूँ
तो सोचता हूँ
की उतार इन शब्दों में
अपनी आत्मा को
पर क्या कोई समझ
पायेगा इसको
शायद बताना मुझको तुम |
तो सोचता हूँ
की उतार इन शब्दों में
अपनी आत्मा को
पर क्या कोई समझ
पायेगा इसको
शायद बताना मुझको तुम |
Tuesday, August 5, 2008
Starting dev-poetry on Blogger
I am writing first time ever on any online blogging website. Hope people will like to read my poetry and thoughts.
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