Friday, October 10, 2008

काश ! इसे कोई समझाता !!


जीवन में है कितने बंधन
अब तक इसको समझ न पाया
मन करता रहता है क्रंदन
फिर भी है उसको अपनाया ।
द्वंद भरा यह कैसा जीवन
कभी हसता , कभी रुलाता
सब अपने है समझ न पाता
समझ अकेला मन अकुलाता ।
सारे बंधन मेरे अपने
बढ़ते जाते है क्यू सपने
दिवा स्वप्न अब थका रहे है
समय चल दिया बाती ढकने ।
कब यह बाती बुझ जायेगी
कब तक यह मन बहलायेगी
काश ! इसे कोई समझाता
मेरे मन को राह देखता ।

(This poem has been written by my father.
I Love this poem. Hope u will also love and like it )

Tuesday, October 7, 2008

कौन समझेगा मुझे !



कौन समझेगा मुझे
कौन मुझे प्यार देगा
जिस प्यार की तलाश
में हूँ बरसो से
क्या मुझे वो प्यार
कभी मिलेगा ।
इक धुंधली सी तस्वीर
है उसकी मेरे जेहन में
कब तक मै उसका
इन्तजार करूँ ।
कही वो मेरा
भरम तो नही
या है वो इक सच ।
ये खुदा अब तू
ही बता क्या
वो मेरे सामने आएगी ।
और अगर वो नही
आएगी तो उसकी
तस्वीर मेरे जेहन में
क्यो है और मै क्यों
उसके बारे में सोचता हूँ
अब तू ही बता -
कौन समझेगा मुझे
और कौन मुझे प्यार देगा ।

(यह कविता मेरे प्रिय मित्र चंद्र शेखर द्वारा लिखी गई है और मुझे
बहुत पसंद है , मुझे आशा है आप लोगो को भी पसंद आएगी )

Friday, October 3, 2008

तेरे लिए !


रातों को अक्सर
तारों के संग
तेरे लिए गीत
मैंने है गाया ।


तुम मेरी क्या हो !


तुम्हे क्या बताऊँ
की तुम मेरी क्या हो
मेरी हमसफ़र
तुम मेरी जीन्दगी हो ।
दुनिया की चाहत
की तुम वो परी हो
जिसे मैंने पूजा
तुम वो हँसी हो ।
तारों पे चलती तुम
हुस्ने कमल हो
जिसे मैंने गाया
तुम वो गजल हो ।
जिसे मैंने जन्मों से
माँगा था रब से
मेरी जा वो तुम हो
हां , तुम्ही हो ।


पूछो उनसे , जो अनाथ होते है !


खुशकिस्मत होते है वे लोग
जिनके मां-बाप होते है
पूछो उनसे -
जो अनाथ होते है ।
यदि कोई खुदा है
इस धरती पर
तो वो मां -बाप ही है
तुम चाहे जैसे भी हो
वो तुम्हारे साथ होते है ।
कैसे तुम रोओगे ?
किसी और के सामने
आंशूं बहाने और पोछने
वाले भी तो चाहिए जो
जो तुम्हारे साथ होते है ।

तेरा प्यार मेरी पूजा !



तूं जीत , जिन्दगी है
तू आश , रौशनी है
तेरा प्यार मेरी पूजा
तेरी चाह बंदगी है
मेरी शाम तुमसे रौशन
मेरी रात फिर खिली है ।

तुम क्या गयीं , मै खो गया !


तुम क्या गयीं
मै खो गया
जाने मुझे क्या हो गया ।
चलता रहा
राहों पे लेकिन
फिर भी कभी मै चल ना सका ।
जीता रहा
जीवन को हर पल
फिर भी कभी मै जी ना सका ।
सोया हूँ अक्सर
रातों को लेकिन
फिर भी कभी मै सो ना सका ।
तुम क्या गयीं
मै खो गया
जाने मुझे क्या हो गया .