Thursday, May 14, 2009

मै प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा !!


मै प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा
मुझे नहीं आता है, कोरे स्वप्न सजाना
मै अपने मन की देखी साकार करूँगा
माना हर एक कल्पना सत्य नहीं होती
हर अभिलाषा, पूरी हो पाती ही कब है?
सभी ओर अवरोध खड़े है भांति भांति के
हर पगडंडी मंजिल तक जाती ही कब है?
लेकिन मुझे न आता आधे में रुक जाना
निकल पड़ा हूँ तो बाधांये पार करूँगा ||
ऋतुएं भी बदलेंगी, अपने अपने क्रम से
कभी मेघ गरजेंगे, सरिता इतराएगी
धूप कभी अपना शारीर ही झुलसाएगी
लौट पुनः दिन बासंती बेला भी आएगी
मैंने कब सिखा है पीडा से डर जाना
अभिसंघातो से, जीवन श्रृंगार करूँगा
मेरा रहा असंभव से आकर्षण गहरा
चाँद सितारों पर मेरा मन ललचाता है
जाने क्यों, घनघोर तिमिर की छाया में भी
मुझको आशा दीप, दूर से दिख जाता है
मुझे नहीं आता अधियारे से घबराना
मै प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा ||

16 comments:

निर्मला कपिला said...

vah devji kyaa bat hai bahut din se soch rahi thi ki kuchh hai jo meri najar se chhoot raha hai aaj samajh aayaa ki vo dev thaa kuchh din buisy si rahii is liye sab blogs par ghoom nahi payee bahut achha laga mai parkhash ki khatir poori raat chaloongaa is se badhh kar aur badiyaa baat kyaa ho sakti hai meri shubhkaamnaayen tumhare saath hain badhai

sandhyagupta said...

Bahut prabhavi.Badhai.

Yogesh Verma Swapn said...

wah dev, bahut hi pyaripositive soch ki rachna. badhai.

mere blog par aane aur comments ke liye hriday se aabhaar, punah padharen.dhanyawaad.

aasha sharma said...

dev sahab, aapki kavita "MAIN PRAKAASH KI KHATIR PURI RAAT CHALUNGA" padh k bahut acha laga, or isko padh k mere iraade or majbut hue hai.
mujhe jo pana hai, uske liye mujhe aapki kavitaa me likhe anusaar bhi karna pade to main jarur karungi.
meri shubhkaamnaayen humesha aapke saath hai.

vikas vashisth said...

mai prakash ki khatir puri raat chalunga,
kabhi har na manunga
kathin ho chahe kitni bhi dagar
mai nahi ghabraunga...
energetic creation...

Urmi said...

बहुत बढ़िया! आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है!

shama said...

ईश्वर करे , आपकी रात सुहानी हो ..सुबह रंगीन हो ..और दिन गरिमामयी...!
http://shamasansmaran.blogspot.com

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://shama-baagwaanee.blogspot.com

http://shama-kahanee.blogspot.com

Dev said...

atyant prabhavi lekhni hai apki.
zari rakhiyegaa

Kim Simon said...

This blog is great source of information which is very useful for me. Thank you very much.

BEST LOVE POEMS FOR MOTHER.

रोहित अग्रवाल said...

यह कालजयी कविता का पण्डित आचार्य श्री राम शर्मा की लेखनी से उदय हुआ है,सर्वप्रथम यह सन् 1935 में सैनिक नामक क्रांतिकारी अखबार में, दूसरी बार सन् 1990 अगस्त में अखंड ज्योति में प्रकाशित हुई थी

रोहित अग्रवाल said...

यह कालजयी कविता का पण्डित आचार्य श्री राम शर्मा की लेखनी से उदय हुआ है,सर्वप्रथम यह सन् 1935 में सैनिक नामक क्रांतिकारी अखबार में, दूसरी बार सन् 1990 अगस्त में अखंड ज्योति में प्रकाशित हुई थी

रोहित अग्रवाल said...

यह कालजयी कविता का पण्डित आचार्य श्री राम शर्मा की लेखनी से उदय हुआ है,सर्वप्रथम यह सन् 1935 में सैनिक नामक क्रांतिकारी अखबार में, दूसरी बार सन् 1990 अगस्त में अखंड ज्योति में प्रकाशित हुई थी

रोहित अग्रवाल said...

यह कालजयी कविता का पण्डित आचार्य श्री राम शर्मा की लेखनी से उदय हुआ है,सर्वप्रथम यह सन् 1935 में सैनिक नामक क्रांतिकारी अखबार में, दूसरी बार सन् 1990 अगस्त में अखंड ज्योति में प्रकाशित हुई थी

रोहित अग्रवाल said...

यह कालजयी कविता का पण्डित आचार्य श्री राम शर्मा की लेखनी से उदय हुआ है,सर्वप्रथम यह सन् 1935 में सैनिक नामक क्रांतिकारी अखबार में, दूसरी बार सन् 1990 अगस्त में अखंड ज्योति में प्रकाशित हुई थी

रोहित अग्रवाल said...

यह कालजयी कविता का पण्डित आचार्य श्री राम शर्मा की लेखनी से उदय हुआ है,सर्वप्रथम यह सन् 1935 में सैनिक नामक क्रांतिकारी अखबार में, दूसरी बार सन् 1990 अगस्त में अखंड ज्योति में प्रकाशित हुई थी

Anonymous said...

भाई देव जी आप सराहनीय कार्य कर रहे हैं, जो अच्छे विचार लोगों तक पहुंचा कर किन्तु मौलिक सोंच हो किसी और कि तो वहां उनको जरूर सम्मान दें, तभी आप भी प्रगति करेंगें।
**यह कालजयी कविता का पण्डित आचार्य श्री राम शर्मा की लेखनी से उदय हुआ है,सर्वप्रथम यह सन् 1935 में सैनिक नामक क्रांतिकारी अखबार में, दूसरी बार सन् 1990 अगस्त में अखंड ज्योति में प्रकाशित हुई थी** को आप स्वीकार करें आपका मान अवश्य बढ़ेगा