Wednesday, January 21, 2009

भारतीय युवा अपने को स्वस्थ रह कर ही देश, समाज और परिवार की सेवा कर सकते है ..





भारतीय युवा गैजिट का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं हैं, लेकिन इनका ज्याद ाइस्तेमाल सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि इससे मानसिक रोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हॉस्पिटल में पेशंट की संख्या बढ़ रही ही। मोबाइल फोन, आईपॉड, आई फोन, लैपटॉप, कैमकॉर्डर, डीवीडी, पीसी, डिजिटल डायरी, इलेक्ट्रॉनिक हेयर ड्रेसर, मसाजर, विडियो गेम, वॉक मैन के अलावा और भी कई सारे इलेक्ट्रॉनिक आइटम का यूज युवाओं में बढ़ रहा है। बहुत से युवाओ का आधे से ज्यादा वक्त फोन और इंटरनेट सफिर्ंग पर गुजरता है।

मनोचिकित्सक और डाक्टर्स का कहना ही की कंप्यूटर की-बोर्ड और फोन से लगातार मेसेज करने से कई तरह की ऑथोर्पेडिक प्रॉब्लम हो सकती है। वहीं बैटरी से चलने वाले फोन ज्यादा चार्ज होने पर ओवर हीट प्रोड्यूस करते हैं, जिससे एक्सप्लोजन भी हो सकता है।

आप जब भी ऑफिस से आए या इस तरह के उपकरण का उपयोग करने के बाद प्राणायाम अवश्य करे , यदि संभव हो तो स्नान कर ले , नही तो हाँथ पैर अवश्य धुलें . यदि आप कंप्यूटर पर काम कर रहे ही तो , हर एक घंटे पर अपने बैठने की पोसिशन और हाँथ की पोसिशन बदलते रहे . इस तरह आप शारीरिक और मानशिक परेशानी से बच सकते है .

16 comments:

विवेक सिंह said...

काफी कुछ सीख लिया ! आभार !

राज भाटिय़ा said...

बहुत काम की बात बताई.
धन्यवाद

Anonymous said...

यह आज के समय की अनिवार्य त्रासदी हो गयी है. इंसान मजबूर है. फ़िर भी यथा सम्भव बचाव के उपाय अपनाने चाहिए.

निर्मला कपिला said...

behtreen jaankaari ke liye shukria

Arvind Gaurav said...

achhi jankari di aapne aaj se mai in sab cheejo ka jitna kam istamaal kar sakta hu utna kam karunga.

अवाम said...
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अवाम said...
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अवाम said...

achchhi jankari di hai apne..

Krishna Patel said...

bahut achchhi jankari di apne.

योगेन्द्र मौदगिल said...

सामयिक व जरूरी चिंतन भरा लेख के लिये देव जी बधाई

Satish Saxena said...

बहुत अच्छा ज्ञानवर्धक लेख ! शुभकामनायें !

दिगम्बर नासवा said...

महत्वपूर्ण जानकारी के लिए शुक्रिया...............

Ashutosh said...

बहुत काम की बात बताई.

ilesh said...

nice information...keep it up...

Vinay said...

आप सादर आमंत्रित हैं, आनन्द बक्षी की गीत जीवनी का दूसरा भाग पढ़ें और अपनी राय दें!
दूसरा भाग | पहला भाग

शारदा अरोरा said...

जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद , कंप्यूटर पर काम करने से लोग अकेलेपन का शिकार होते होंगे ; पर अपने ब्लोगर भाईयों के साथ ऐसा नहीं है , इनकी दुनिया ही अलग हो गयी है |