
मै मौत से नही डरता
मौत के खौफ से नही डरता
मगर मौत मुझे गाँधी , सुभाष की tarah chahiye
मुझे मौत आजाद , भगत सिंह की tarah चाहिए
मुझे मौत बलिदान , स्वाभिमान की चाहिए
मुझे मौत देश की खातिर चाहिए
मुझे मौत कारगिल की चाहिए
मुझे मौत मेजर उन्नी कृषण की tarah चाहिए
मुझे मौत हेमंत करकर , विजय सालसकर , अशोक की tarah चाहिए
मुझे मौत , ई वतन तेरे लिए चाहिए
मेरे वतन तेरे लिए मै लहू बहाऊंगा
गर मर भी गया तो मै शहीद कहलाऊंगा
मेरे वतन निराश न हो मै लौट के आऊंगा ।

सुन लो आताकियों , दुश्मनो
हर बार यही कहानी दुहराऊंगा
खाकर सिने पर हजारों गोलिया
तेरा नाम अपनी जमी से मिटाऊंगा
हर बार शांति का संदेश
सारे जहा में फैलाऊंगा
हर बार अपना प्राण देश की
आन ,मान और शान की खातिर लुटाऊंगा