Sunday, August 24, 2008
न जाने क्या -क्या सोचता हूँ मै
न जाने क्यू ?
तुम्हारे बारे में सोचना अच्छा लगता है
फिर वही पागलपन , फिर वही दीवानापन
ह्रदय को तरंगित कर गया ।
सोचता हूँ की जब तुमसे मिलूंगा
तब सब कुछ कह दूँगा तुमसे एक ही साँस में
तुम हसोगी मेरी दीवानगी पर, नादांगी पर
मेरा ह्रदय धड़क रहा होगा
तुम्हारी पलके मेरे चेहरे पर झुक रही होंगी
और न जाने क्या -क्या सोचता हूँ मै
तुम ये करोगी , तुम वो करोगी
तुम सरमाओगी ,शायद मुझसे लिपट जाओगी
मुझे गले से लगाओगी
मेरा चेहरा अपने आँचल में छुपाओगी
तुम मुझे अपने दामन से लगाओगी
कोई मधुर गीत गुनगुनाओगी
मुझे चाँद - सितारों में ले जाओगी
और न जाने क्या -क्या सोचता हूँ मै
आवारा बादलों की तरह , दीवानों की तरह
और न जाने क्या - क्या सोचता हूँ मै ..............
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment